लेखनी कविता -तुम्हीं ने बायसे-ग़म बारहा किया दरयाफ़्त - फ़िराक़ गोरखपुरी

72 Part

41 times read

0 Liked

तुम्हीं ने बायसे-ग़म बारहा किया दरयाफ़्त / फ़िराक़ गोरखपुरी तहों में दिल के जहां कोई वारदात हुई हयाते-ताज़ा से लबरेज़ कायनात हुई तुम्हीं ने बायसे-ग़म बारहा किया दरयाफ़्त कहा तो रूठ ...

Chapter

×